Fertilizer News : किसान रबी सीजन की फसलों की बुवाई (बिजाई) के लिए तैयारियों में जुटे हैं। खाद के लिए मारामारी का दौर लगभग अभी से शुरू हो गया है, जबकि आगरा जनपद के किसानों के लिए खाद की भरमार है। पिछले साल के मुकाबले इस बार खाद ज्यादा है। एनपीके कई फॉर्म में सरकारी एवं प्राइवेट में उपलब्ध है।
Fertilizer News : उत्तर प्रदेश के जिन जनपदों में आलू की खेती होती है, वहां खाद की किल्लत रहती है। जबकि सरकार के अनुसार खाद फॉस्फेटिक उर्वरक की प्रदेश में कोई कमी नहीं है। किसानों को खाद के नाम पर केवल डीएपी चाहिए, जबकि एनपीके, एसएसपी एवं अन्य फॉस्फेटिक उर्वरक काफी मात्रा में कृषि विभाग के पास उपलब्ध हैं। किसानों को डीएपी के साथ-साथ दूसरे उत्पादों का इस्तेमाल करने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है, लेकिन विभाग को इसमें संतोषजनक सफलता नहीं मिल रही है। डीएपी की डिमांड़ कम नहीं हो पा रही है, जिससे शासन, प्रशासन और सरकार के लिए मुसीबत बढ़ती जा रही है।
आगरा जनपद में लगभग 75 हजार हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। इस फसल का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। हर साल आलू फसल की लागत बढ़ रही है। भाव की बात करें तो किसी साल किसानों को खुशियां दे जाता है तो किसी साल उन्हें रुला देता है। फसल की लागत निकाल पाना मुश्किल हो जाता है। इधर बात करें केंद्र और प्रदेश सरकार की तो वे फसलों की लागत कम करने और पैदावार बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। जिस तरह से खाद के नाम पर डीएपी की डिमांड़ है उससे लागत कम होती नहीं दिख रही है। किसानों को आलू के अलावा सरसों, गेहूं, जौ आदि फसलों के लिए भी खाद के रूप में ज्यादातर डीएपी की डिमांड रहती है।
किसान डीएपी के साथ-साथ एनपीके और एसएसपी भी खरीदें। इन खादों से भी फसलों की अच्छी पैदावार ली जा सकती है। एनपीके से फसलों को तीनों मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मिल जाते हैं, जबिक डीएपी (18:48:0) से नाइट्रोजन और फस्फोरस ही पौधों को मिलता है।
विनोद कुमार
जिला कृषि अधिकारी, आगरा
आगरा में एनपीके और डीएपी की उपलब्धता
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि अभी रबी सीजन की फसलों की बुवाई (बिजाई) में समय है, लेकिन डीएपी की डिमांड अभी से बहुत हो रही है। ज्यादातर किसानों को डीएपी चाहिए। अभी खरीफ सीजन चल रहा है। जनपद में पिछले साल सितंबर माह में इस समय तक डीएपी की उपलब्धता 8872 मीट्रिक टन थी, जबकि इस साल 9318 मीट्रिक टन है। यानि पिछले साल से ज्यादा है, जबकि अभी दो-तीन रैक और आनी हैं। एक रैक में लगभग 2500 मीट्रिक टन खाद आती है। बात करें एनपीके की तो पिछले साल सितंबर माह में इसी समय तक 4467 मीट्रिक टन थी, जबकि इस साल सितंबर माह में इस समय तक 12531 मीट्रिक टन उपलब्ध है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले एनपीके लगभग 8 हजार मीट्रिक टन उपलब्ध है।
इतने प्रकार की मौजूद है एनपीके
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि आगरा जनपद में एनपीके चार तरह के अनुपात वाले रूप में मौजूद है। इनमें 12:32:16, 20:20:13, 16:16:16 और 9:24:24 एनपीके उपलब्ध है।
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